यह सबसे ज्यादे परेशान करने वाला सवाल है जिसमे बच्चे बस एक ही प्रश्न से जूझ रहे होते है। ” क्या मै करू की मेरा मन गणित में लगने लगे ?” मैं कितने घंटे गणित को पढू ? मै गणित के लिए किस कोचिंग से जुडू ? मै कौन – कौन से किताबो को खरीदूँ ? क्या गणित सच में मेरे बस का नहीं है ? क्या मुझे इस बारे में एक अनुभवी अध्यापक से बात करनी चाहिए या नहीं ? कई सवालों को करते-करते बिच में छोड़े देते है। अध्यापक के बार-बार समझाने पर भी समझ नहीं आता है तो लगता है की सच में मुझे समझाने के लिए ईश्वर को आना पड़ेगा।

यह सब सवाल उनके मन में उठता है जिनको गणित से डर लगता है या वे लोग गणित में ज्यादे कमजोर है। देखा जाय तो गणित को आसान या कठिन कहना हर विद्यार्थी पर निर्भर करता है की उस बच्चे के गणित को समझने सीखने की कितनी क्षमता है ? यदि आप गणित विषय में अच्छे प्रदर्शन करते है तो ठीक है। बस उसे कंटिन्यू रखने की जरूत है। यदि आप को गणित से बहुत तकलीफ है या गणित में अच्छे प्रदर्शन करना चाहते है तो आप गणित एक ऐसे सत्यप्रिय प्लेटफार्म पर है। जँहा गणित से जुडी हर गाइडेंस को आसानी से समझ सकते है।
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गणित को बच्चे एक दिलचस्प विषय मानने से क्यों मना कर रहें है ?
देखिये , सवाल के जबाब के बहुत सारे आयाम है। क्योंकि यह हर एक बच्चे के समझने की छमता पर भी निर्भर करता है। इसलिए हम आपको केवल एक कोण से ही नहीं बल्कि बहुत सारे कोण से समझाने की कोशिश करेंगे। चलिए एक-एक करके समझने की कोशिश करते है।
- बच्चे के घर पर गणित के प्रति कोई सकारात्मक रूप से सक्रियता न होना।
ज्यादे तर बच्चे इस बजह से दूर रहना चाहतें है , उन्हें बताया जाता है ” गणित इतना भी जरूरी भी नहीं है” या यदि बच्चे गणित में अच्छे अंक नहीं प्राप्त कर रहें है। इस दशा में वे लोग बच्चे के गणित में कमजोरी को नजरअंदाज कर रहें है। बस इसी कारण से बच्चे के मन में यह बैठ जाता है की गणित के बिना भी हम काम चला लेगें जो बाद में लापरवाही का कारण बन जाता है। जब बच्चे को गणित के आधार पर जोर देने की बारी होती है तो बच्चे बस अपनी क्लास बदल आगे बढ़ने के तयारी में लगे होते है।
- जब बच्चे अपने घर पर गणित के लिए कोई समय ना दें।
मेरे अनुसार यह स्थिति सबसे बड़ा कारण है। मानलीजिए गणित में अध्यापक द्वारा कोई सवाल बताया गया है। बच्चे की जिम्मेदारी है की वह अपने घर पर बताये गए सवाल पर आधारित कोई सारे सवालों को हल कर अपने कॉन्फिडेंस को बिल्ड करे। लेकिन जब बच्चे घर पर उसी दिन कोई भी बताये गए सवाल पर प्रैक्टिस ही नहीं करते है और यही आदत बच्चे के गणित को कमजोर बना देता है। तो गणित डर के अलावां गणित में मन कँहा लगेगा।
- बच्चे के गणित के अध्यापक का ज्यादे अनुभवी न होने के कारण।
कई सारे लोग ये भूल जातें है की गणित को समझाना और गणित को समझने, दोनों में बहुत ज्यादे अंतर होता है। क्लास में बैठे विद्यार्थी एक जैसे नहीं होते है। सब बच्चे के समझने की क्षमता अलग अलग होती है। किसी बच्चे को समझने में समय लगता है तो किसी के एक ही बार में समझ में आ जाता है। ये सारा गणित के अध्यापक पर निर्भर करता है की वे कितना अनुभवी और योग्य है। यदि अध्यापक चाहें तो गणित को रोचक भी बना सकता है जो अध्यापक के अनुभव पर निर्भर करता है।
- बच्चे ऐसे लोग से इंस्पिरेशन ले रहे है जो गणित के बिना ही ज्यादे सफल है।
आज कल इंटरनेट पर अपने दूकान चलने के लिए व्यूअरशिप के कारण, बातो को गोल – गोल घुमा रहें है। वे लोग करोड़ो में ऐसे लोगों का कहानी सुना रहे है जो गणित के बिना कुछ ज्यादे सफल है। यही बात बच्चे के मन में बैठ जाता है की गणित में पासिंग मार्क बहुत है। बच्चे को गणित से दूर करते जाता है।
- गणित का कठिन और जटिल होना।
यह सभी को माना चाहिए की गणित ऐसा विषय है जिसमे कैलकुलेशन ही कैलकुलेशन है। इसलिए गणित कठिन और जटिल दोनों होता है। जो बच्चे को रास नहीं आता है। क्योकि कभी – कभी एक ही सवाल का बार – बार गलत होने पर, बच्चे परेशन होकर दोबारा गणित को छूना ही नहीं चाहतें है।
- बच्चे रोजाना हो रहें कुछ घटनओं को गणित के आधार पर न समझना चाहतें ना सुलझाने की कोशिश करते है।
देखिये, मुझे जँहा तक लगता है यदि बच्चे गणित से दूर जाना चाहते है, तो केवल एक ही कारण है। यदि बच्चे रोजाना हो रहे घटनओं को गणित के चश्मे से नहीं देखना चाहते है।
जैसे की यदि हो रही है खरीदारी तो इसमें छूट, लाभ , हानि को समझने की कोशिश नहीं करना चाहते है। बहुत सारा खेल है जिसमे हर के स्टेप में गणित के बिना को भी चली नहीं जा सकती है। बहुत ऐसे कार्य है जो हमारे जीवन से जुड़े है। जिसमे गणित किसी न किसी तरीके से जुड़ा हुआ है। यदि इसके महत्व को कभी समझने की कोशिश नहीं किया जाय तो गणित में कँहा से मन लगेगा।
- इस समय बच्चे एडवांस तकनीक के जल से घिरें है।
इस समय, तकनीक के दुनिया में बच्चे तेजी से लिप्त हो रहे है। आज कल ताकिन लगभग हमारे जीवन के एक – एक कार्य में उपयोग में लाया जा रहा है। जो कुछ हद तक सही भी है। लेकिन उसे और आसान बनाने के लिए बच्चे को उस तकनीक के कार्य सिद्धांत को समझना बहुत जरूरी है। यही सभी को पता है की गणित के साथ ही सम्भव है।
गणित को बच्चे एक दिलचस्प विषय बनाने के लिए क्या – क्या करें ?
- ऐसे कार्य क्षेत्र के बारे में जानने की कोशिश करें। जिसमें गणित एक महत्वपूर्ण अंग हो। बच्चे अपने अध्यापक से पूछे की गणित के जरिये कौन-कौन फील्ड सम्भव है।
यह सबसे बड़े मोटिवेशन का कारण बन सकता है। शायद ! बच्चे इस वजह से गणित में अपने मन लगाने लगे। यदि उन्हें पता हो की गणित पर जोर दिया जाय तो एक गणित के साथ ही अच्छे फ्यूचर की कल्पना की जा सकती है।
- बच्चे गणित को अपने वास्तविक जीवन के उदाहरण जोड़े।
जैसे की हम जानते है, यदि गणित को रोजमर्रा की जिंदिगी से जोड़ा जाय तो बच्चे को गणित के प्रासंगिकता समझ में आती है। जैसे खरीदारी में, खेल में, कारख़ानों में, उत्पादन में , इत्यादि।
- बच्चें को नये तकनीक में उपयोग हुये गणित के अध्यन में जोड़े।
यदि बच्चे गणित के साथ-साथ नये तकनीक में उपयोग हुए गणित को समझेंगे तो उनका गणित के प्रति और अधिक झुकाव बढ़ेगा। नए तकनिक का एक और पहलू है। यदि बच्चे को नए तकनीक के माध्यम से पढ़ाया जाय तो उनके लिए गणित और आसान हो सकता है। जैसे की कैलकुलेटर जो बच्चे के गणितीय कैलकुलेशन को और आसान बनाने में मदद करता है।
- गणित का अनुप्रयोग दूसरे विषयों में किस प्रकार किया जा रहा है।
यदि बच्चे को इस बात से अवगत कराया जाय की गणित का अनुप्रयोग किन-किन विषयों में है और कँहा-कँहा है। तो बच्चे और अच्छे से समझ पाएंगे किए गणित इतना महत्वपूर्ण क्यों है। जैसे की गणित का उपयोग इतिहास में , जीव विज्ञान में , भौतिक विज्ञान में , रसायन विज्ञान में, वैज्ञानिक प्रयोग में, इत्यादि।
- रोजमर्रा के जीवन में आने वाली समस्या को गणित तर्क के माध्यम से समाधान निकले।
यह बहुत ही शानदार विचार है , यदि बच्चे गणित तर्क के माध्यम से समस्या का समाधान निकाले की कोशिश करें तो यह सबसे बेहतर विचार होगा। बच्चे के मन में गणित के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
- गणित के प्रति सकारात्मक सोच, रोजाना उचित चर्चा और सहयोग।
यदि बच्चे के घर या विद्यालय में गणित के प्रति सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति हो, जो बच्चे को समय- समय पर गणित के अच्छे गुण को गिनाकर उन्हें गणित के प्रति जागरूक रखें। गणित पर उचित चर्चा करें ताकि बच्चे गणित के प्रति और सोंचे। यदि बच्चे के गणित में कोई कमी होती है उसकी मदद करें या कोचिंग लगाएं ताकिं बच्चा गणित से डरे मत।
निष्कर्ष:
इस लेख में तो हमने बच्चे का गणित में न मन लगने का कारण क्या हैं। क्यों बच्चे सोचतें है की गणित एक दिलचस्प विषय नहीं है ? कौन – कौन से मुख्य कारण है जिसके वजह से गणित को पढ़ने से इनकार कर रहें है ? इन सभी के अपने अनुभव और व्यक्तिगत राय के साथ इस लेख में साझा किया हूँ। मैं पूरी तरह से बताने का कोशिश किया हूँ की कैसे गणित को एक दिलचस्प विषय बनाया जा सकता है। मुझे उम्मीद है की इसे पढ़ने के बाद आपको यह तो ज्ञात हो जायेगा की गणित के प्रति किस बिन्द पर विचलित है। जिसे आपको सुधारने की कोशिश करनी चाहियें।
क्या मै करू की मेरा मन गणित में लगने लगे?
देखिये, यह सवाल बहुत ही बच्चों द्वारा पूछे जाने वाला है। यह सवाल कई स्थितियों में उठ सकती है। यह आपके ऊपर निर्भर करता है की आप किस गणित का कौन सा बात आपको समझ में नहीं आरही है। फिर भी गणित में मन न लगने का मुख्य कारण गणित समझ में न आना। इसके लिए सबसे बेस्ट उपाय यह है की अपने गणित के बेसिक को क्लियर करे बिना किसी जल्द बाजी के। जब भी कोई कांसेप्ट पर सवाल करें तो सबसे पहले आसान सवाल से ही शुरू करें , कठिन से नहीं।
मैं कितने घंटे गणित को पढू ?
देखिये, यह सवाल तब उठता है जब आपका गणित में अंक कम आ रहें है। यह आपके क्षमता पर निर्भर करता है की आप कितने घंटे गणित को झेल सकते है। घंटे बता देने से अपना विचार दुसरो थोपने के बराबर होगा। इसलिए आप अपने क्षमता पर तय करें। क्योंकि मायने यह रखता है की आप प्रत्येक दिन कितना सवाल हल करते है। कोशिश करें की प्रत्येक दिन ज्यादे से ज्यादे सवाल को हल करें।
मै गणित के लिए किस कोचिंग से जुडू ?
देखिये, गणित के कोचिंग के लिए दो मोड है। पहला ऑनलाइन और दूसरा ऑफलाइन। सबसे पहले अपने लोकेशन के आधार पर तय करें की कौन सा बेस्ट रहेंगे। फिर तय करें की कौन से अध्यापक द्वारा आप गणित को और आसान बना सकते हैं। लास्ट आप कोचिंग के लिए कितना शुल्क दे सकते है। (आप चर्चित चहरे के पीछे मत भागिए , यह गलती आपको विद्यार्थी के जगह पर ग्राहक बना देगा।)
मै गणित के लिए कौन – कौन से किताबो को खरीदूँ ?
यह भी पूरी तरह आपके क्षमता पर निर्भर करता है। यह सभी को पता है NCERT ही लागू होता है। तो किसी के बहकावे के चक्कर में आकर गणित के कई सारे किताबो को न खरीद लें। क्योकि ये केवल आपके टेशन को बढ़ाएगा । इसलिए जो आपके विद्यालय के अध्यापक कहें बस उसी को ख़रीदियें। गणित के अध्यापक आपके क्षमाता के आधार पर ही सुझाव देंगें। नहीं तो बाजार में अपनी – अपनी दुकान चलाने के लिए सभी बैठ ही है। समझदारी से काम करें, बहकावें में नहीं। नहीं तो परीक्षा सर पर आजायेगी और देखते ही रह जायेंगे। इसे भी जरूर पढ़े।
क्या मुझे गणित के बारे में एक अनुभवी अध्यापक से बात करनी चाहिए या नहीं ?
हाँ करनी चाहियें, यह सबसे उत्तम उपाय है। क्योंकि वे अपने कई वर्षो के अनुभव के आधार पर आपका व्यक्तिगत रूप से सहायता भी प्रदान करेंगे।