लाभ और हानि प्रतियोगिता परीक्षाएँ के लिए ज्यादे उपयोगी क्यों है ?

इस समय सबसे ज्यादे लाभ और हानि के अवधारणाओं से जुड़े सवाल प्रतियोगिता परीक्षा में क्यों दिया जा रहा है ? यह प्रतियोगी परीक्षा क्यों ज्यादे दिया जा रहा है। लाभ और हानि तो सुनने में बहुत आसान माना जाता है। मगर इससे जुड़े सवाल यदि परीक्षा में दिया जाता है तो कठिन सा क्यों लग रहा है। हमें क्यों लाभ और हानि से जुड़े अवधारणाओं पर आधारित प्रशनो को हल करने में मुश्किल सा लग रहा है ? कभी-कभी तो बट्टा या छूट वाले सवाल भी फसा दे रहें है।

एक तरह तो आसान है मगर इसे कई तरह के सवाल में समलित कर के कठिन क्यों बनाया जा रहा है। ताकि विद्यार्थी लाभ-हानि के अवधारणा पर आधारित सामाजिक जीवन में जुड़ाव को गहराई से समझता हो। लाभ और हानि से जुड़े कई सवालों को आसानी से हैंडल करने के लिए क्या करना चाहियें।

Aspirant is thinking why profit and loss is more important for competitive examination.

मुझे लगता है यदि इतने सारे सवाल आपके दिमाग में घूम रहा है तो आप सच में गणित के लाभ और हानि से परेशान है। चलिये आपके इन सवाल को एक – एक करके सुलझातें है। मुझे आशा है ये सारे सुझाव पढ़ने के बाद आपके दिमाग में कोई और लाभ-हानि से जुड़े सवाल नहीं बचेंगे। यदि इसके बाद भी आपके मन में कोई सवाल है तो मुझसे सीधे पूछ सकतें है।

लाभ-हानि और इससे जुड़ी अवधारणाओं के बारें से क्या समझतें है ?

लाभ:

जब दुकानदार क्रय मूल्य से अधिक मूल्य पर किसी सामान को बेंच दे(बिक्रय मूल्य) तो दुकानदार कोअधिक प्राप्त धन को लाभ कहतें है। लाभ केवल खरीदारी पर निर्भर नहीं करता है। लाभ की स्थिति हमें कई स्थितियों में देखने को मिलती है।

जैसे की बैंक में (लोन लेने पर या देने पर, saving करने पर ), शेयर मार्केट में, बिल्डिंग construction और Rent collection पर, शॉपिंग मॉल में, व्यापार में निवेश, जमीन और गोल्ड खरीदतें, इत्यादि।

हानि:

जब दुकानदार क्रय मूल्य से कम मूल्य पर किसी सामान को बेंच दे(बिक्रय मूल्य) तो दुकानदार को हुए घाटें को हानि कहतें है। वैसे ही हानि केवल खरीदारी तक ही नहीं निर्भर करता है। हानि हमें कई सारे स्थितियों में देखने को मिलती है। जैस की हम ऊपर लाभ के स्थिति में बात की है।

लाभ-हानि से जुड़े अवधारणाओं को कई स्थितियों में देखते है। जिसे आप निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझ सकतें है।

  • जब हम बाजार से किसी वास्तु को खरीदते समय सोचतें है वह लाभ-हानि ही है।
  • जब हम बाजार में किसी वास्तु को बेचतें समय सोचतें है वह लाभ-हानि ही होता है।
  • जब हम किसी जमीन, गोल्ड, House, कार, bike, share, को खरीदने से पहले जिसके बारे में सोचतें है वह है लाभ-हानि।
  • जब हम बैंक से लोन लेते समय सोचतें है।
  • जब हम किसी को लोन देते समय लाभ-हानि के बारें सोचतें है।
  • जब हम कहीं इन्वेस्ट करतें है। जैसे की बैंक, शेयर मार्केट, फैक्ट्री में, इंडस्ट्री में, इत्यादि।
  • जब हम कृषि, मछली पालन, Poultry फार्म, इत्यादि में भी इन्वेस्ट करते समय भी लाभ-हानि के बारे में ही सोचतें है।
  • जब हम नये तकनीक की वस्तुएँ खरीदतें है। तो हम अपने कार्य को आसान बनाने के साथ – साथ बिजली बिल और समय खपत के सन्दर्भ में लाभ – हानि देखतें है।
  • जब गवर्नमेंट देश के अंदर टैक्स को लागू कराती है तो टैक्स से कमाई में लाभ-हानि के बारें में सोचतीं है।(राजस्व को बढ़ने के सन्दर्भ में)

लाभ-हानि से जुडी कई सारे सवालों को प्रतियोगिता परीक्षाएँ में देने का ठोस वजह क्या है ?

देखिये, हमें लगता है की लाभ-हानि की कहानी केवल बाजार तक सिमित है। मगर जैसे – जैसे हम चीजों को परखतें है वैसे – वैसे हमें यह पता चलता है की अच्छा यहाँ भी लाभ और हानि है। मुझे लगता है की आपको सबसे पहले यह पता होना चाहिए की जो परीक्षा का पेपर सेट करता या उस विशेष परीक्षा का विशेष आवश्यकता हो सकती है। ये सारी चीजें उन पर निर्भर करती है। इसमें कोई विशेष टिप्पड़ी करना सही नहीं है।

लेकिन इनके कुछ वजह को समझ सकते है। सबसे पहले हम एक उदहारण को समझते है। मान लीजिए आपको एक व्यक्ति को किसी नौकरी पर रखना है। तो आप उस व्यक्ति के अंदर कितने गुण को तलाशने लगतें है। एक बात याद रखियें की आपके तर्क बहुत सारे हो सकते है। आप एक अच्छे Sales Man को ही देख लीजिए जँहा किसी भी परिस्थिति में हानि से बचने में पारंगत होता है। मगर आप जैसे – जैसे लाभ-हानि को और पढ़ेंगे तो धीरे – धीरे अनुमान मिलते जाएगा।

  • खरीदारी में (बाजार में, शॉपिंग मॉल )
  • टैक्स देने के बाद भी लाभ-हानि के बारें में सोचना।
  • निवेश करते समय((जमीन, गोल्ड, बिल्डिंग, वाहन, फैक्ट्री में , जीवन बीमा पर )
  • बैंक या जमींदार लोन लेते या देते समय।
  • अब Stock Market में शेयर बेचतें समय या खरीदते समय।
  • विद्युत उपकरण को खरीदते समय। (बिजली खपत के सन्दर्भ में )
  • नए तकनीक के वस्तुएँ खरीदते समय। (सुलभता और समय के सन्दर्भ में)

ऐसे बहुत सारे स्थिति है जँहा आप लाभ-हानि के बारे में बिना सोचें बिना है न तो खरीद सकतें और नहीं बेच सकते है। आप ये तो देखिये बिना फायेदा न कोई भोजन खिलायेगा, न पार्टी में इन्विटेशन देगा , न उधर देगा।

इसलिए, हमें लाभ – हानि के अवधारणा को समित नहीं समझना चाहिये। परीक्षा के गणित केकुछ प्रश्न में प्रतिशत के जरिये लाभ-हानि को जोड़ने को कोशिश की जा रही है। क्यों की यह हमारे जीवन के हर स्टेप के गणना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

हमें लाभ-हानि से जुड़े अवधारणा पर आधारित प्रशनो को हल करना कठिन सा क्यों लग रहा है ?

यदि बच्चे परीक्षा में लाभ – हानि के अवधारणा पर आधारित प्रशनो को सुझाने में कठिनाई महसूस कर रहें है। इसके बहुत सारे कारण है। तो चलिए कुछ कारण को विश्लेषित करतें है।

  • यदि आप केवल गणित के NCERT के आधारित प्रशनो को ही केवल समझा हो।
  • लाभ – हानि, बट्टा(छूट), अंकित मूल्य, क्रय मूल्य, बिक्रय मूल्य, लाभ प्रतिशत, हानि प्रतिशत, टैक्स की सही से समझ(परिभाषा और उदहारण में कमी) न होना। जैसे की किस स्थिति में क्रय मूल्य होता है , किस स्थिति में अंकित मूल्य होता है , किस स्थिति में कौन-सा सूत्र उपयोग करना है।
  • लाभ – हानि, बट्टा(छूट), अंकित मूल्य, क्रय मूल्य, बिक्रय मूल्य, लाभ प्रतिशत, हानि प्रतिशत, टैक्स या टैक्स प्रतिशत जैसे का सूत्र सही से याद न होना।
  • लाभ – हानि के अवधारणा से अवगत न होना। (जैसे की आपको लगता है की सवाल केवल क्रय मूल्य और बिक्रय मूल्य ही होता है। मगर इस समय तो टैक्स से जुड़े सवाल को दिया जा रहा है।)

इस समय के परीक्षा में case base study ज्यादा दिया जा रहा है। लाभ – हानि के सवाल में ही कुछ ऐसा किया जा रहा है। कभी – कभी तो यह बिलकुल आसान होता है मगर time consuming होता है। जिसे बच्चे कठिन सवाल में गईं देतें है।

कभी – कभी ये बिलकुल फसाउ होता है। जैसे की ये टैक्स , वो टैक्स, ये छूट, वो छूट, आदि सब होता है। जिसके वजह से कठिन बन जाता है।

हम लाभ-हानि से जुड़े अवधारणा पर आधारित प्रशनो का हल और आसान कैसे बना सकतें है ?

यदि आप लाभ – हानि से जुड़े हर प्रकार के सवाल के हल को एक-दम आसान बना सकतें है। देखिये, यह बहुत ही आसान हो सकता है यदि आप लाभ – हानि से जुड़े सारे सूत्रों को याद और बहुत सारे प्रशनो का प्रैक्टिस करना आपके लिए शायद एक तार्किक उपाय है। चलिए इसे और बिन्दुओ द्वारा समझने की कोशिश करतें है।

  • लाभ – हानि से जुड़े सारे सूत्रों को दोहराएं। (यहाँ लाभ – हानि से जुड़े हर सूत्रों को पढ़े। )
  • सभी सूत्रों पर प्रयाप्त मात्रा में सवालों को हल करें।
  • गणित के किसी भी सवाल को मैन्युअल रूप से हल करें। अर्थात किसी भी सवाल का हल शार्ट – कट विधि से न करें। (फायदा – लाभ -हानि से जुड़े सारे कांसेप्ट और सूत्र आपके जुबानो पर रहेंगा।)
  • लाभ – हानि के सवालों के लिए आप कई समतुल्य गणित के किताबो का सहारा ले सकतें है।
  • जिस भी परीक्षा की तैयारी कर रहें है , उसके पिछले वर्ष का प्रश्न को हल कर सकतें है। जिसे लाभ – हानि से जुड़े सवालों का अनुमान लगा सकतें है।
  • रोजाना किये हुए खरीदारी, इन्वेस्टमेंट, आदि को ध्यान से पढियें , समझियें और गणित के सवाल जैसे हल करें।

निष्कर्ष:

इस लेख में हम आपको बताएं है की लाभ – हानि अब के प्रतियोगी परीक्षा के लिए इतना जरूरी क्यों है ? लाभ – हानि को पढ़ने से क्या फायदा है ? लाभ – हानि से जुड़े किसी भी तरह के सवाल को कैसे आसानी से हल करें ? इन सारे के जबाब हम अपने कई वर्षो के शिक्षक कार्यो के अनुभव से बता रहा हूँ। यदि इसके बाद भी आपके पास कोई और सवाल शेष बच जानतें है तो आप हमसे सीधे पूछ सकतें है।

FAQ………

लाभ – हानि की अवधारणा क्या होती है ?

जिस भी क्षेत्र में आप लाभ – हानि अनुप्रयोग को देखते है। वह क्षेत्र लाभ – हानि के अवधारणा आधारित होगा। जैसे की दुकान से खरीदारी के समय, बैंक में , इन्वेस्टमेंट के समय।

अब के प्रतियोगी परीक्षा में लाभ – हानि के क्यों कठिन आ रहा है ?

इस समय परीक्षा में गणित के प्रशनो को case base study के माध्यम से पूछा जा रहा है। जिसे टैक्स को प्रतिशत के माध्यम से इस तरीके से घुमाया जा रहा है। जिसे बच्चे को कठिन दो कारण के वजह से लग रहा है। पहला time taking के कारण। दूसरा सूत्रों और टैक्स के स्थिति पर कम तैयारी।

लाभ – हानि के पढ़ने से क्या फायदा है ?

लाभ – हानि से निम्नलिखित फायदा है।
परीक्षा में आने वाले लाभ – हानि से सवालों को आसानी से हल कर सकते है।
दुकानदार के हानि से बच सकतें है।
ऑनलाइन या ऑफलाइन के तथाकथित हो रहें छूट के नाम पर हानि से बच सकते है।
यदि आप इन्वेस्टमेंट कर रहे तो लाभ – हानि का पूर्वानुमान कर के हानि से बच सकतें है।

किसी व्यापारी के लिए लाभ – हानि क्यों जरूरी होता है ?

एक व्यापारी के लिए सबसे ज्यादे यदि कोई काम की चीज है तो लाभ – हानि है। यदि व्यापारी बिना लाभ – हानि के गणना किये बिना व्यापार करता है। तो उसे हानि देखने को मिल सकती है। इसलिए कोई व्यापारी लाभ – हानि के पूर्वानुमान के बाद ही व्यापार करता है।

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